UP Zero Poverty Yojana:- उत्तर प्रदेश, भारत का सबसे अधिक आबादी वाला राज्य, अपनी सांस्कृतिक विविधता और ऐतिहासिक महत्व के लिए जाना जाता है। लेकिन इसके साथ ही, यह राज्य लंबे समय से गरीबी और सामाजिक-आर्थिक असमानता जैसी चुनौतियों से भी जूझता रहा है। इन चुनौतियों से निपटने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने जीरो पॉवर्टी योजना (UP Zero Poverty Yojana) की शुरुआत की है, जो न केवल गरीबी को जड़ से खत्म करने का लक्ष्य रखती है, बल्कि राज्य को देश का पहला “जीरो पॉवर्टी स्टेट” बनाने की महत्वाकांक्षा भी रखती है। यह लेख इस योजना के हर पहलू को विस्तार से समझाएगा, जिसमें इसके उद्देश्य, कार्यान्वयन, लाभ, और समाज पर इसके प्रभाव शामिल हैं।
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जीरो पॉवर्टी योजना क्या है?
उत्तर प्रदेश जीरो पॉवर्टी योजना एक अभिनव और महत्वाकांक्षी पहल है, जिसे 2 अक्टूबर 2024 को गांधी जयंती के अवसर पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लॉन्च किया। इसका मुख्य उद्देश्य राज्य की प्रत्येक ग्राम पंचायत में सबसे गरीब 10 से 25 परिवारों की पहचान करना और उन्हें विभिन्न सरकारी योजनाओं के माध्यम से मुख्यधारा में लाना है। इस योजना का लक्ष्य इन परिवारों को भोजन, कपड़ा, शिक्षा, स्वास्थ्य, आवास, और स्थायी आय का स्रोत प्रदान करके उनकी आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ करना है।
यह योजना न केवल गरीबी उन्मूलन पर केंद्रित है, बल्कि यह सुनिश्चित करती है कि कोई भी परिवार मूलभूत आवश्यकताओं से वंचित न रहे। सरकार ने इस योजना को चरणबद्ध तरीके से लागू करने का लक्ष्य रखा है, जिसमें 2 अक्टूबर 2025 तक सभी चिह्नित परिवारों की वार्षिक आय को कम से कम 1.25 लाख रुपये तक पहुंचाने का लक्ष्य है।
योजना के प्रमुख उद्देश्य
- गरीबी का पूर्ण उन्मूलन: प्रत्येक ग्राम पंचायत में सबसे गरीब परिवारों की पहचान कर उन्हें आर्थिक रूप से सशक्त बनाना।
- मूलभूत सुविधाओं की गारंटी: भोजन, आवास, स्वास्थ्य, और शिक्षा जैसी बुनियादी जरूरतों को पूरा करना।
- स्थायी आय का स्रोत: परिवारों को स्वरोजगार और कौशल विकास के अवसर प्रदान कर आत्मनिर्भर बनाना।
- पारदर्शी चयन प्रक्रिया: डिजिटल तकनीक और सामुदायिक भागीदारी के माध्यम से निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से लाभार्थियों का चयन।
- समावेशी विकास: समाज के सबसे कमजोर वर्गों को मुख्यधारा में शामिल करना और सामाजिक असमानता को कम करना।
योजना का कार्यान्वयन: एक त्रि-स्तरीय प्रक्रिया
उत्तर प्रदेश जीरो पॉवर्टी योजना का कार्यान्वयन एक सुनियोजित और त्रि-स्तरीय प्रक्रिया के माध्यम से किया जा रहा है, जो पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करती है। यह प्रक्रिया निम्नलिखित है:
1. पहचान और पंजीकरण (Level 1)
- मोबाइल ऐप का उपयोग: ग्राम पंचायत स्तर पर कर्मचारी और कैडर ‘मॉप-अप’ मोबाइल ऐप के जरिए सबसे गरीब परिवारों की पहचान करते हैं। इस प्रक्रिया में बेघर, भूमिहीन, दिहाड़ी मजदूर, और संसाधनहीन परिवारों को प्राथमिकता दी जाती है।
- क्षेत्रीय भ्रमण: कर्मचारी परिवार के मुखिया की उपस्थिति में क्षेत्रीय भ्रमण करते हैं और जीरो पॉवर्टी पोर्टल पर विस्तृत पंजीकरण करते हैं।
- सटीकता: गलत जानकारी देने वाले कर्मचारियों के खिलाफ जवाबदेही सुनिश्चित की जाती है।

2. ग्राम-स्तरीय समिति (Level 2)
- प्रत्येक ग्राम पंचायत में पांच सदस्यों की एक समिति गठित की जाती है, जिसमें ग्राम प्रधान, पूर्व ग्राम प्रधान, स्थानीय स्कूल के हेडमास्टर, और दो सबसे पुराने स्वयं सहायता समूहों के प्रमुख शामिल होते हैं।
- अगर स्वयं सहायता समूह उपलब्ध नहीं हैं, तो आशा कार्यकर्ता और आंगनवाड़ी सेविका को शामिल किया जाता है।
- यह समिति प्रारंभिक चयन की जांच करती है और सिफारिशें देती है।
UP Zero Poverty Yojana के अंतर्गत लाभ
जीरो पॉवर्टी योजना के तहत चिह्नित परिवारों को निम्नलिखित लाभ प्रदान किए जाते हैं:
आवास:
- प्रधानमंत्री आवास योजना और मुख्यमंत्री आवास योजना के तहत बेघर परिवारों को पक्का मकान।
- प्राथमिकता के आधार पर 11.1 लाख बेघर परिवारों को आवास प्रदान करने की योजना।
स्वास्थ्य:
- आयुष्मान भारत योजना के तहत गोल्डन कार्ड, जिससे मुफ्त इलाज संभव हो।
- अन्य स्वास्थ्य योजनाओं के माध्यम से चिकित्सा सुविधाएं।
खाद्य सुरक्षा:
- राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन के तहत राशन कार्ड और मुफ्त राशन।
- परिवार आईडी पोर्टल के साथ एकीकरण करके गैर-लाभार्थी परिवारों को भी राशन कार्ड प्रदान करना।
शिक्षा:
- स्कूल में दाखिला, मुफ्त यूनिफॉर्म, और अन्य शैक्षिक सहायता।
- निरक्षर लाभार्थियों के लिए समकक्षता प्रमाणन पाठ्यक्रम।
आजीविका:
- प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि और श्रमिक कार्ड के माध्यम से वित्तीय सहायता।
- स्थानीय परिस्थितियों के आधार पर स्वरोजगार के लिए परियोजनाएं, जैसे पशुपालन, किराना दुकान, या अन्य सूक्ष्म उद्यम।
- प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थानों के छात्रों द्वारा परिवारों के लिए अनुकूलित आय योजना तैयार करना।
कौशल विकास:
- प्रशिक्षण और अप्रेंटिसशिप कार्यक्रम, जैसे राम सागर जैसे लाभार्थियों के लिए विनिर्माण संयंत्रों में नौकरी।
- बीसी सखी योजना के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में बैंकिंग सेवाओं के लिए महिलाओं को प्रोत्साहन।
योजना की प्रगति और प्रभाव
फरवरी 2025 तक, उत्तर प्रदेश सरकार ने 13.57 लाख परिवारों का डेटा एकत्र किया, जिनमें से 13.22 लाख का सत्यापन हो चुका है। इनमें से 11.1 लाख परिवार बेघर पाए गए, जिन्हें प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत प्राथमिकता दी जा रही है। इसके अलावा, 32,325 परिवार हरदोई जिले में अभी भी लाभ से वंचित हैं, जिसके लिए सरकार ने समयबद्ध कार्रवाई का निर्देश दिया है।
योजना के तहत कई सफल कहानियां भी सामने आई हैं। उदाहरण के लिए, राम सागर, जो पढ़ नहीं सकते थे, को समकक्षता प्रमाणन पाठ्यक्रम में दाखिला दिलाया गया और उन्हें विनिर्माण संयंत्र में प्रशिक्षण के साथ नौकरी दी गई। इसी तरह, बीसी सखी योजना ने ग्रामीण महिलाओं को बैंकिंग सेवाओं के जरिए आत्मनिर्भर बनाया।
योजना की चुनौतियां और समाधान
हर बड़ी योजना की तरह, जीरो पॉवर्टी योजना को भी कुछ चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है:
- सत्यापन में देरी: कुछ जिलों में सत्यापन प्रक्रिया धीमी है, जैसे कौशांबी में कर्मचारियों की लापरवाही के मामले।
- समाधान: मुख्य सचिव ने समयबद्ध सत्यापन और कड़ी कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।
- जागरूकता की कमी: ग्रामीण क्षेत्रों में कई परिवारों को योजना की जानकारी नहीं है।
- समाधान: स्वयं सहायता समूहों और बीसी सखी के माध्यम से जागरूकता अभियान।
- आर्थिक संसाधन: इतने बड़े पैमाने पर योजना को लागू करने के लिए भारी वित्तीय निवेश की जरूरत है।
- समाधान: केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं का समन्वय और निजी क्षेत्र की भागीदारी।
समाज पर दीर्घकालिक प्रभाव
उत्तर प्रदेश जीरो पॉवर्टी योजना केवल एक सरकारी योजना नहीं है, बल्कि यह एक सामाजिक क्रांति का प्रतीक है। इसके दीर्घकालिक प्रभाव निम्नलिखित हो सकते हैं:
- आर्थिक समृद्धि: गरीब परिवारों की आय में वृद्धि से स्थानीय अर्थव्यवस्था को बल मिलेगा।
- सामाजिक समावेश: कमजोर वर्गों का मुख्यधारा में शामिल होना सामाजिक एकता को बढ़ावा देगा।
- शिक्षा और स्वास्थ्य में सुधार: मुफ्त शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं से मानव विकास सूचकांक में सुधार होगा।
- महिला सशक्तिकरण: बीसी सखी और स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से महिलाओं को आर्थिक स्वतंत्रता मिलेगी।
- सतत विकास: स्थायी आजीविका और संसाधनों का उपयोग सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) को प्राप्त करने में मदद करेगा।
निष्कर्ष
उत्तर प्रदेश जीरो पॉवर्टी योजना एक ऐसी पहल है, जो न केवल गरीबी को खत्म करने का सपना देखती है, बल्कि इसे हकीकत में बदलने के लिए ठोस कदम भी उठा रही है। पारदर्शी चयन, डिजिटल तकनीक, और सामुदायिक भागीदारी के साथ यह योजना गरीब परिवारों के लिए उम्मीद की किरण बन रही है। अगर यह योजना अपने लक्ष्यों को प्राप्त करती है, तो उत्तर प्रदेश न केवल भारत का पहला “जीरो पॉवर्टी स्टेट” बनेगा, बल्कि यह अन्य राज्यों के लिए भी एक मॉडल बन सकता है।
इस लेख में हमने योजना के हर पहलू को सरल और मानवीय भाषा में समझाने की कोशिश की है, ताकि यह पाठकों के लिए उपयोगी और प्रेरणादायक हो। क्या आप इस योजना के बारे में और कुछ जानना चाहेंगे? अपनी राय और सुझाव नीचे कमेंट करें!